छत्तीसगढ़ के नाम एक बड़ी उपलब्धि लगी है. जान जोखिम में डाल बस्तर की नैना सिंह धाकड़ ने एवेरेस्ट की चोटी फतह की है। वही चोटिल नैना को रेस्क्यू कर पर्वतारोही याशी जैन ने खेल भावना का प्रदर्शन किया है।
छत्तीसगढ़ के लिए बेहद गर्व की बात है कि बस्तर गर्ल पर्वतारोही नैना सिंह धाकड़ ने विश्व की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट 8848.86 मीटर और माउंट लोत्से 8516 मीटर को फतह किया है। यह उपलब्धि हासिल करनी वाली राज्य की प्रथम महिला बन गयी है।
नैना का चयन इस साल माउंट एवरेस्ट की चढ़ाई करने वाले पर्वतारोहियों के दल में किया गया था। बस्तर के जगदलपुर जिला मुख्यालय से दस किमी दूर बस्तर ब्लाक के ग्राम एक्टागुड़ा में एक गरीब परिवार की सदस्य नैना बीते दस साल से पवर्तारोहण के क्षेत्र में सक्रिय हैं। नैना अब तक कई अभियानों को सफलतापूर्वक पार कर चुकी हैं। यह अभियान 60 दिनों का था। नैना के इस अभियान के लिए जिला प्रशासन और एनएमडीसी ने मदद की थी।
पिता का साया उठ गया, हौसला नहीं खोया
नैना सिंह धाकड़ एक्टागुड़ा में जन्मी और पली-बढ़ी हैं। पिता का साया बचपन में ही उठ गया। मां ने मिलने वाली पेंशन की राशि से परिवार का भरण पोषण किया और बच्चों को शिक्षित बनाया। उसने जगदलपुर स्थित महारानी लक्ष्मीबाई कन्या हायर सेकंडरी स्कूल से हायर सेकंडरी और बस्तर विश्वविद्यालय से स्नातक की पढ़ाई करने के बाद वह 2009 में पर्वतारोहण के क्षेत्र में जाने का फैसला किया। इसकी प्रेरणा उसे राष्ट्रीय सेवा योजना से जुड़े रहने के दौरान मिली। उसने बताया कि एक भाई गांव में चाय की दुकान चलाता है जबकि दूसरे छोटे भाई की किराना की दुकान है।