ब्रिटेन सरकार ने मंगलवार को धार्मिक अधिकारों पर भारत की स्थिति की खूब तारीफ की। वेस्टमिंस्टर हॉल में भारत में मुस्लिमों, ईसाइयों और अल्पसंख्यक समूहों पर बहस के दौरान ब्रिटेन सरकार ने कहा कि बहुसंख्यक हिंदुओं की भारी तादाद के बावजूद भारत में धार्मिक विविधता तारीफ के काबिल है।
इस बहस को लेकर लंदन में भारतीय उच्चायोग की ओर से बयान जारी किया गया। इस बयान में कहा गया कि दुनिया का सबसे बड़ा “कामकाजी लोकतंत्र” मुक्त “चर्चा” और “बहस” के पवित्र और मौलिक अधिकार को महत्व देता है, भारत धार्मिक सहिष्णुता और सामंजस्य की सदियों पुरानी परंपरा के प्रति अपनी प्रतिबद्धता में अद्वितीय है।
विदेश, राष्ट्रमंडल और विकास कार्यालय (एफसीडीओ) के मंत्री निगेल एडम्स ने कहा कि हममें से जिन लोगों को भारत जाने का सुख मिला है, वे जानते हैं कि यह एक शानदार देश है। यह दुनिया के सबसे धार्मिक रूप से विविध देशों में से एक है।
मंत्री निगेल एडम्स ने कहा, विदेश सचिव डोमिनिक राब ने दिसंबर में भारत यात्रा के दौरान अपने भारतीय समकक्ष के साथ मानवाधिकारों के कई मुद्दों को उठाया, जिसमें कश्मीर की स्थिति और कई कांसुलर मामलों के बारे में हमारी चिंता शामिल है, हम देखते हैं भारत सरकार इन चिंताओं को दूर करने और सभी धर्मों के लोगों के अधिकारों की रक्षा करने के लिए प्रतिबद्ध है।
वहीं, विवादास्पद लेबर सांसद नाज़ शाह ने भारतीय सांसद शशि थरूर के भाषण का जिक्र करते हुए कहा, यह समय आ गया है कि मोदी सरकार यह सीखे कि वे भारत में नफरत की राजनीति करते हुए विदेश में ‘मेक इन इंडिया’ को बढ़ावा नहीं दे सकते। ये मेरे शब्द नहीं बल्कि भारत की वास्तविकता को उजागर करने वाले लेखक और भारतीय राजनीतिज्ञ शशि थरूर के शब्द हैं। पूरी दुनिया में राष्ट्रवादी राजनीति के उदय के साथ, हमने अल्पसंख्यक अधिकारों के लिए खतरे को देखा है।