Attack On Journalists Mining Coverage: छत्तीसगढ़ में रेत माफिया का कहर! राजिम में पत्रकारों पर जानलेवा हमला, खेत- जंगल में छिपकर बचाई जान

गरियाबंद: Attack On Journalists Mining Coverage: छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले के राजिम में सोमवार को एक खौफनाक वारदात सामने आई। अवैध रेत खनन की कवरेज करने गए पत्रकारों पर रेत माफियाओं ने जानलेवा हमला कर दिया। ये हमला इतना भयावह था कि पत्रकारों को अपनी जान बचाने के लिए करीब तीन किलोमीटर तक दौड़ लगानी पड़ी और फिर जंगल-खेतों में छिपकर एक घंटे तक जान बचानी पड़ी। घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है, जिससे पूरे पत्रकार समाज में गुस्सा है। वहीं पुलिस और प्रशासन अब हरकत में आ गए हैं।

कैमरे में कैद हो रही थी माफियागीरी, तभी बरस पड़ी गोलियां

जानकारी के मुताबिक, कुछ पत्रकार राजिम क्षेत्र में अवैध रेत खनन की हकीकत को उजागर करने पहुंचे थे। जैसे ही वे खनन के वीडियो बना रहे थे, तभी रेत माफियाओं को इसकी भनक लग गई। प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि पहले तो माफियाओं ने पत्रकारों को धमकाया, फिर उनके साथ मारपीट की। हालात तब और बिगड़े जब माफियाओं ने गोलियां चला दीं।

जान बचाने के लिए तीन किलोमीटर तक दौड़े पत्रकार

हमले के बाद जान बचाने के लिए पत्रकारों को खेतों और जंगलों में दौड़ लगानी पड़ी। करीब एक घंटे तक वे अलग-अलग जगह छिपकर जान बचाते रहे। इस हमले में पत्रकार नेमीचंद बंजारे, जितेन्द्र सिन्हा, शेख इमरान, थानेश्वर बंजारे और आदी चक्रधारी को चोटें आई हैं। घटना की खबर मिलते ही राजिम एसडीएम और पुलिस फोर्स मौके पर पहुंची और पत्रकारों को सुरक्षित थाने लाया गया।

देखिये वीडियो-

राजिम के इन इलाकों में अवैध रूप से चल रही है रेत खदान

पितईबंद के अलावा राजिम में चौबेबंधा, बकली, रावण, तर्रा, कोपरा में अवैध डंप समेत 10 से ज्यादा खदान अवैध रूप से संचालित हैं। रोजाना शाम ढलते ही हैवा जिले में प्रवेश करती है। रात 8 बजे तक घाटों में खनन शुरू हो जाता है। एक-एक घाट में 5 से 6 फोकलेंड मशीनें लगी होती हैं। तड़के 4 बजे तक अवैध खनन चलता रहता है। गरियाबंद का रेत रायपुर, दुर्ग, राजनांदगांव जैसे जिलों में सप्लाई होता है। रोज माफिया लाखों कमा रहे हैं, जिसका 40 फीसदी हिस्सा जिम्मेदारों को कमीशन के तौर पर जाता है।

पुलिस की कार्रवाई, चार आरोपी गिरफ्तार

घटना की गंभीरता को देखते हुए गरियाबंद पुलिस ने तुरंत एक्शन लिया। कुछ ही घंटों में चार आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया। बताया जा रहा है कि ये आरोपी वारदात के बाद रायपुर की ओर भाग रहे थे, जिन्हें रास्ते में घेराबंदी कर पकड़ा गया। पुलिस इन आरोपियों के खिलाफ न केवल मारपीट और जानलेवा हमले का केस दर्ज कर रही है, बल्कि अलग से प्रतिबंधात्मक कार्रवाई भी की जा रही है।

माफिया के वाहनों पर भी चला बुलडोजर

रेत खनन में इस्तेमाल हो रहे माउंटेन चैन और हाईवा वाहनों को जिला प्रशासन ने जब्त कर लिया है। प्रशासन ने साफ कर दिया है कि अवैध खनन को किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

पत्रकार संगठनों में भारी आक्रोश

हमले के बाद पत्रकार संगठनों में भारी आक्रोश है। सभी ने एक सुर में इस बर्बरता की निंदा करते हुए दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है। साथ ही सरकार से मांग की गई है कि पत्रकारों की सुरक्षा के लिए विशेष व्यवस्था लागू की जाए और अवैध रेत खनन पर स्थायी रोक लगे।

“पत्रकारों की सुरक्षा सर्वोपरि” – पुलिस अधीक्षक

घटना के बाद गरियाबंद एसपी ने बयान जारी करते हुए कहा कि पत्रकारों की सुरक्षा हमारी प्राथमिकता है। इस मामले में सख्त कार्रवाई होगी। साथ ही अवैध रेत खनन के खिलाफ पहले से चल रही मुहिम को और तेज किया जाएगा।

राजिम की यह घटना सिर्फ पत्रकारों पर हमला नहीं है, यह लोकतंत्र की आवाज को दबाने की कोशिश है। अगर रेत माफियाओं को अब भी लगाम नहीं लगी, तो आने वाले समय में ये किसी के लिए भी खतरा बन सकते हैं। शासन-प्रशासन को अब चेतने की जरूरत है।


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Ravi Pratap Pandey

रवि पिछले 7 वर्षों से छत्तीसगढ़ में सक्रिय पत्रकार हैं। उन्होंने राज्य के सामाजिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक पहलुओं पर गहराई से रिपोर्टिंग की है। जमीनी हकीकत को उजागर करने और आम जनता की आवाज़ को मंच देने के लिए वे लगातार लेखन और रिपोर्टिंग करते रहे हैं।

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