राजिम कुंभ कल्प मेला 2025 का शुभारंभ, राज्यपाल रमेन डेका ने किया उद्घाटन

राजिम: Rajim Kumbh Kalpa Mela 2025: छत्तीसगढ़ के त्रिवेणी संगम राजिम में 2025 के राजिम कुंभ कल्प मेला का भव्य उद्घाटन राज्यपाल रमेन डेका द्वारा किया गया। इस ऐतिहासिक अवसर पर उन्होंने इस आयोजन को छत्तीसगढ़ की समृद्ध सांस्कृतिक और धार्मिक धरोहर का प्रतीक बताया।

राजिम बना आस्था का केंद्र

महानदी, पैरी और सोंढूर नदियों के संगम पर आयोजित इस मेले में देशभर से साधु-संत, श्रद्धालु और पर्यटक बड़ी संख्या में पहुंचे। राज्यपाल डेका ने भगवान राजीव लोचन की प्रतिमा पर पुष्प अर्पित कर प्रदेश की सुख-समृद्धि की कामना की। इस अवसर पर उन्होंने कहा, “राजिम सदियों से संतों और भक्तों का केंद्र रहा है। यह कुंभ केवल धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि सामाजिक एकता और परंपरा के संरक्षण का संदेश देता है।”

उन्होंने छत्तीसगढ़ के अन्य धार्मिक स्थलों और पंचकोशी यात्रा का भी उल्लेख किया, जो राज्य की धार्मिक समृद्धि को दर्शाते हैं।

महाकुंभ और राजिम कुंभ का अद्भुत संयोग

इस वर्ष का राजिम कुंभ कल्प और भी विशेष है, क्योंकि यह प्रयागराज में चल रहे महाकुंभ के समानांतर आयोजित हो रहा है। राज्यपाल डेका ने इस तुलना को करते हुए कहा, “प्रयागराज में गंगा, यमुना और सरस्वती का संगम होता है, जबकि राजिम में महानदी, पैरी और सोंढूर का संगम है। इसीलिए इसे छत्तीसगढ़ का प्रयागराज कहा जाता है।”

आध्यात्मिकता और पर्यटन को मिलेगा बढ़ावा

राज्यपाल ने इस अवसर पर छत्तीसगढ़ को धार्मिक पर्यटन का प्रमुख केंद्र बनाने की दिशा में राज्य सरकार द्वारा किए गए प्रयासों की सराहना की। उन्होंने महामाया मंदिर, बम्लेश्वरी माता, दंतेश्वरी मंदिर और मडकू द्वीप जैसे धार्मिक स्थलों का उल्लेख किया, जो राज्य की सांस्कृतिक धरोहर को समृद्ध करते हैं।

उन्होंने कहा, “राजिम कुंभ केवल अध्यात्म का नहीं, बल्कि सामाजिक और आर्थिक विकास का भी केंद्र है। यह मेला प्रदेश में धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देगा और स्थानीय अर्थव्यवस्था को मजबूती देगा।”

संतों का आशीर्वाद, समरसता का संदेश

राजिम कुंभ कल्प के शुभारंभ समारोह में देशभर के संत-महात्मा और धार्मिक गुरु उपस्थित रहे। दंडी स्वामी डॉ. इंदुभवानंद जी महाराज, महंत साध्वी प्रज्ञा भारती जी महाराज, बालयोगेश्वर रामबालक दास जी महाराज सहित कई प्रमुख संतों ने इस आयोजन को ऐतिहासिक बताया।

राज्यपाल ने श्रद्धालुओं से संस्कृति और परंपराओं को सहेजने और नई पीढ़ी को इससे जोड़ने का आह्वान किया। उन्होंने कहा, “जहां संतों के चरण पड़ते हैं, वह भूमि स्वयं पवित्र हो जाती है।”

भव्य आयोजन, लाखों श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र

यह आयोजन छत्तीसगढ़ सरकार, धर्मस्व विभाग, पर्यटन मंडल और स्थानीय प्रशासन की महत्वपूर्ण भूमिका से सफल हुआ। लाखों श्रद्धालुओं के आने की संभावना के साथ, यह मेला आस्था, संस्कृति और पर्यटन का अद्वितीय संगम बन गया है।

Also Read: मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय 13 फरवरी को महाकुंभ स्नान के लिए प्रयागराज जाएंगे

दक्षिण कोसल का Whatsapp Group ज्वाइन करे

Ravi Pratap Pandey

रवि पिछले 7 वर्षों से छत्तीसगढ़ में सक्रिय पत्रकार हैं। उन्होंने राज्य के सामाजिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक पहलुओं पर गहराई से रिपोर्टिंग की है। जमीनी हकीकत को उजागर करने और आम जनता की आवाज़ को मंच देने के लिए वे लगातार लेखन और रिपोर्टिंग करते रहे हैं।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button