सो रहे आदिवासी को उठा ले गया तेंदुआ, शिकार की खौ़फनाक कहानी

मगरलोड। मगरलोड क्षेत्र में जंगली जानवरों का शिकार करने का सिलसिला लगातार बढ़ता जा रहा है। 2 फरवरी को सुबह ग्राम पंचायत पठार के आश्रित ग्राम बेंद्राचुवा के पास एक आदिवासी ग्रामीण की क्षत-विक्षत लाश मिली, जिसे तेंदुए ने शिकार बना लिया था। यह घटना उत्तर सिंगपुर मोहंदी वन परिक्षेत्र के छपरानाला इलाके की है।

शिकार की खौ़फनाक कहानी

ग्रामीणों ने जब यह लाश देखी, तो उन्होंने तुरंत वन विभाग को सूचना दी। मौके पर पहुंचने वाले वन विभाग के अधिकारी एसडीओ मनोज विश्वकर्मा, रेंजर पंचराम साहू और डिप्टी रेंजर मुकुंद राव ने जांच की। शव की स्थिति को देखकर वन विभाग ने पुष्टि की कि यह शिकार तेंदुए ने किया है। तेंदुए ने मृतक की दाहिनी जांघ, कान, गला और हाथ के पंजों पर हमला किया था।

घटनास्थल से मिले निशान

मृतक की पहचान ग्राम सोनहारिन दैहान निवासी मनराखन गोंड़ (55) के रूप में की गई। बताया जा रहा है कि मनराखन 1 फरवरी की रात को बेंद्राचुवा किसी काम से गए थे और रास्ते में सड़क किनारे सो गए थे। घटनास्थल से मिले निशान से यह पता चला कि तेंदुए ने उन्हें सड़क से घसीटते हुए ढाई सौ मीटर दूर झाड़ी में ले जाकर शिकार किया।

क्षेत्र में बढ़ रही जंगली जानवरों के हमले की घटनाएं

इस घटना के बाद इलाके में खौ़फ का माहौल है। लोग जंगली जानवरों के हमलों से डर महसूस कर रहे हैं। वन विभाग ने तात्कालिक सहायता के तहत मृतक के परिजनों को 25,000 रुपए की सहायता राशि दी है। इस घटना ने यह साबित कर दिया है कि मगरलोड क्षेत्र के अधिकतर गांव वनों से घिरे हुए हैं, जहां जंगली जानवर भोजन और पानी की तलाश में गांवों की ओर आ रहे हैं। पिछले साल 5 दिसंबर को भी मड़ेली कमारपारा की एक महिला को तेंदुए ने शिकार बना लिया था।

इस घटना ने वन विभाग और स्थानीय प्रशासन के लिए सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल उठाए हैं। लोग अपनी सुरक्षा को लेकर चिंतित हैं, और प्रशासन से इस समस्या का समाधान निकालने की उम्मीद कर रहे हैं।

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Ravi Pratap Pandey

रवि पिछले 7 वर्षों से छत्तीसगढ़ में सक्रिय पत्रकार हैं। उन्होंने राज्य के सामाजिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक पहलुओं पर गहराई से रिपोर्टिंग की है। जमीनी हकीकत को उजागर करने और आम जनता की आवाज़ को मंच देने के लिए वे लगातार लेखन और रिपोर्टिंग करते रहे हैं।

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