CG Fake Deputy Collector: फर्जी डिप्टी कलेक्टर पकड़ाया! ड्राइवर-स्टेनो लेकर पहुंचा था निरीक्षण करने, पुलिस ने दबोचा

कवर्धा: CG Fake Deputy Collector: जिले के कलेक्ट्रेट में बीती रात एक अजीबोगरीब घटना देखने को मिली, जब खुद को डिप्टी कलेक्टर बताकर निरीक्षण करने पहुंचा एक युवक पुलिस के हत्थे चढ़ गया। दुर्ग निवासी शम्मी सिंह ठाकुर नाम का यह युवक पूरी फिल्मी स्टाइल में ड्राइवर और स्टेनो के साथ सरकारी अफसर बनकर ऑफिस पहुंचा था।
लेकिन कहते हैं ना, झूठ के पांव नहीं होते। जैसे ही उसने अपनी फर्जी रौबदारी शुरू की, वहां मौजूद कर्मचारियों को कुछ गड़बड़ महसूस हुआ। शक की सुई घुमी और तुरंत पुलिस को खबर कर दी गई। मौके पर पहुंची सिटी कोतवाली पुलिस ने बिना देर किए शम्मी ठाकुर समेत उसके दो साथियों को धर दबोचा।
फर्जी आईडी के साथ गिरफ्तार, पूछताछ में जुटी पुलिस
पुलिस ने जब तीनों की तलाशी ली तो उनके पास से फर्जी पहचान पत्र, सरकारी अधिकारी जैसा दिखने वाला आईडी कार्ड और कुछ दस्तावेज भी बरामद हुए। इसके बाद इनसे कड़ाई से पूछताछ शुरू हो गई है। फिलहाल पुलिस ये जानने की कोशिश कर रही है कि आरोपी इतने शातिर प्लान के साथ क्या मकसद लेकर आया था और इसके पीछे कोई बड़ा नेटवर्क तो नहीं है?
एसपी ऑफिस से मिली जानकारी के मुताबिक, जल्द ही इस फर्जीवाड़े की परतें खोल दी जाएंगी। अब सवाल ये उठता है कि ऐसे लोग आखिर इतनी हिम्मत कहां से लाते हैं कि प्रशासनिक व्यवस्था को चकमा देने निकल पड़ते हैं?

पहली बार नहीं है मामला, फर्जी अफसरों की लंबी फेहरिस्त
छत्तीसगढ़ में यह कोई नई घटना नहीं है। पहले भी कई ऐसे मामले सामने आ चुके हैं, जब कोई खुद को फर्जी पुलिस अधिकारी, प्रशासनिक अफसर या श्रम अधिकारी बताकर लोगों को झांसे में ले चुका है।
एक ऐसा ही वाकया सामने आया था सूरजपुर जिले के छोटे से गांव मोहरसोप में। यहां एक युवक चमचमाती कार में सवार होकर पंचायत भवन पहुंचा और खुद को ‘श्रम अधिकारी’ बताकर लोगों को प्रधानमंत्री आवास और पशुधन योजना में सब्सिडी दिलाने का झांसा देने लगा। उसका रौब, चाल-ढाल और बातें इतनी परिपक्व थीं कि गांव वालों ने उस पर भरोसा कर लाखों रुपये तक थमा दिए।
लेकिन किस्मत ने साथ नहीं दिया। कुछ ग्रामीणों को उसकी बातें खटक गईं और जब असलियत का पता चला तो उन्होंने युवक को धर दबोचा और पुलिस के हवाले कर दिया।
सिस्टम में ये सेंध कैसे लग रही है?
बार-बार हो रही ऐसी घटनाएं एक बड़ा सवाल खड़ा करती हैं—क्या प्रशासनिक व्यवस्था में इतनी ढील है कि कोई भी इंसान स्टेनो और ड्राइवर लेकर अफसर बन जाए? फर्जीवाड़ा सिर्फ किसी को ठगने तक सीमित नहीं रहा, अब तो ये सरकारी सिस्टम तक घुसपैठ करने लगा है।
पुलिस को अब न सिर्फ आरोपियों को पकड़ना है, बल्कि ये भी साबित करना है कि सिस्टम में सेंध लगाने वालों की कोई जगह नहीं है। अब देखना है कि आने वाले दिनों में इस मामले से जुड़े और कितने चेहरे सामने आते हैं।