छत्तीसगढ़ का अनोखा हनुमान मंदिर: जहां बजरंगबली की होती है स्त्री रूप में पूजा, मान्यता है—दर्शन मात्र से दूर होते हैं सारे संकट

बिलासपुर। Chhattisgarh Hanuman Temple: छत्तीसगढ़ की धार्मिक विरासत और लोक आस्थाओं में कई चमत्कारी स्थल छिपे हुए हैं। इन्हीं में से एक है गिरजाबंद हनुमान मंदिर, जो बिलासपुर से करीब 30 किलोमीटर दूर रतनपुर में स्थित है। रतनपुर को छत्तीसगढ़ की “धर्मनगरी” कहा जाता है, और देवी महामाया के शक्तिपीठ के लिए जाना जाता है। लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि यहीं एक ऐसा मंदिर भी है जहां हनुमान जी की पूजा देवी स्वरूप में की जाती है।
यहां हनुमान नहीं, देवी बजरंगबली की होती है आराधना
गिरजाबंद हनुमान मंदिर में बजरंगबली की मूर्ति में उनके स्त्री रूप की झलक साफ दिखाई देती है। मूर्ति में हनुमान जी के बाएं पैर के नीचे अहिरावण दबा हुआ नजर आता है। यह दृश्य सिर्फ मूर्ति की आकृति नहीं, बल्कि रामायण से जुड़ी एक बेहद रोचक और चमत्कारी कथा का हिस्सा है।
रामायण से जुड़ी है इस अनोखी परंपरा की शुरुआत
Chhattisgarh Hanuman Temple: पौराणिक मान्यता के अनुसार, जब रावण की हार तय हो चुकी थी, तब उसका भाई अहिरावण छलपूर्वक राम और लक्ष्मण को पाताल लोक ले गया था। वहां वो उन्हें अपनी कुलदेवी के समक्ष बलि चढ़ाने वाला था। तभी हनुमान जी वहां पहुंचे और देवी का रूप धारण कर उनके शरीर में प्रवेश कर गए। इसके बाद अहिरावण का वध किया और राम-लक्ष्मण को मुक्त करवाया। उसी देवी स्वरूप में आज भी गिरजाबंद में उनकी पूजा होती है।
कैसे पड़ा ‘गिरजाबंद’ नाम?
ये मंदिर पहले जंगल के समीप स्थित एक कुंड के पास था, जिसे गिरजा कुंड कहा जाता था। उस स्थान को पहले गिरजावन कहा जाता था, लेकिन धीरे-धीरे बोलचाल में यह नाम गिरजाबंद में बदल गया। कहा जाता है कि महामाया मंदिर से गिरजा कुंड तक आने में हनुमान जी को 11 दिन लगे थे। जिन स्थानों पर उन्होंने विश्राम किया, वहां आज छोटे-छोटे मंदिर बने हुए हैं।
मंदिर स्थापना की चमत्कारी कथा
मंदिर से जुड़ी एक और मान्यता के मुताबिक, रतनपुर के एक राजा और रानी कुष्ठ रोग से पीड़ित हो गए थे। इलाज से कोई फायदा नहीं हुआ। तभी राजा को स्वप्न में हनुमान जी ने दर्शन दिए और बताया कि चंडिका कुंड के पास एक दिव्य मूर्ति है। उसे गिरजा कुंड के समीप स्थापित कर वहां स्नान करने से रोग से मुक्ति मिलेगी। राजा ने वैसा ही किया और चमत्कारिक रूप से दोनों स्वस्थ हो गए।
अर्धनारीश्वर स्वरूप की भी होती है मान्यता
कुछ लोग मानते हैं कि हनुमान जी भगवान शिव के रुद्रावतार हैं, इसलिए गिरजाबंद मंदिर में उनकी पूजा को अर्धनारीश्वर स्वरूप में भी देखा जाता है — यानी शिव और शक्ति दोनों का संतुलन। यह मंदिर स्त्री और पुरुष ऊर्जा के समन्वय का प्रतीक बन गया है।
श्रद्धा का केंद्र बना गिरजाबंद
आज गिरजाबंद हनुमान मंदिर न सिर्फ छत्तीसगढ़, बल्कि देशभर से श्रद्धालुओं को अपनी ओर आकर्षित करता है। हर मंगलवार और शनिवार को यहां भारी भीड़ उमड़ती है। भक्तजन नारियल बांधकर मन्नत मांगते हैं और मानते हैं कि यहां जो भी मुराद मांगी जाती है, वो जरूर पूरी होती है।
कभी जंगल में छिपा यह मंदिर अब धीरे-धीरे भव्य रूप ले रहा है। परिसर में देवी-देवताओं की सुंदर मूर्तियां, दीवारों पर की गई नक्काशी और आध्यात्मिक माहौल यहां आने वाले हर श्रद्धालु को मंत्रमुग्ध कर देता है।