Ambedkar Hospital Raipur: रायपुर के अंबेडकर अस्पताल में अव्यवस्था चरम पर, हाईकोर्ट की फटकार के बाद भी चुप सरकार, जवाब देने को फिर मांगा वक्त

Ambedkar Hospital Raipur: छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल डॉ. भीमराव अंबेडकर मेमोरियल हॉस्पिटल की हालत दिन-ब-दिन बिगड़ती जा रही है। हालात ऐसे हैं कि गंभीर बीमारी से जूझ रहे मरीजों को सर्जरी के लिए 15 से 20 दिन तक का इंतजार करना पड़ रहा है। यही नहीं, कई बार ऑपरेशन डेट मिलने के बाद भी मरीजों को अचानक ऑपरेशन थिएटर से लौटा दिया जाता है। कुछ दिन पहले अस्पताल में आधी रात भीषण आग लगने की भी खबर हमने प्रकाशित किया था। लगातार इस अस्पताल में अनिमिताएं देखने को मिलती है बीते दिनों रायपुर के पत्रकारों के साथ अस्पताल के बाउंसरों ने मारपीट और जान से मार देने की धमकी भी दी जिस पर कार्यवाही करते हुए रायपुर पुलिस ने तुरंत अपराधियों पर नकेल कस्ते हुए गिरफ्तार कर सर मुंडवाकर जुलूस निकली इसी तरह यह अस्पताल आये दिन सुर्ख़ियों में बना रहता है।

हाईकोर्ट ने उठाया था संज्ञान, लेकिन सरकार अब तक जवाब नहीं दे पाई

Bilaspur High Court: मीडिया रिपोर्ट में जब अस्पताल की इन अव्यवस्थाओं का खुलासा हुआ तो छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने स्वतः संज्ञान लेते हुए सरकार से सवाल पूछे। कोर्ट ने सीधे स्वास्थ्य सचिव से व्यक्तिगत हलफनामा मांगा था। मगर 27 मई को सुनवाई के दौरान सरकार की ओर से कोई जवाब दाखिल नहीं किया गया।

महाधिवक्ता प्रफुल्ल एन. भारत ने अदालत से कहा कि हलफनामा तैयार है लेकिन उसे दाखिल करने के लिए थोड़ा और समय चाहिए। कोर्ट ने यह मांग मान ली और अब अगली सुनवाई की तारीख 10 जून तय की गई है।

ऑपरेशन की तारीख नहीं, मरीज इंतजार में बेहाल

Mekahara Hospital Raipur: अस्पताल में कुल 29 ऑपरेशन थिएटर हैं, लेकिन गंभीर बात यह है कि सर्जरी के लिए महज़ 1 से 2 डॉक्टर ही उपलब्ध रहते हैं। हर दिन यहां सड़क हादसे, फ्रैक्चर, कैंसर और अन्य जटिल बीमारियों के कई मरीज भर्ती होते हैं। इनमें से कई को तत्काल ऑपरेशन की जरूरत होती है, मगर उन्हें तारीख मिलने में हफ्तों लग जाते हैं।

परिजनों का आरोप है कि कई बार मरीज को ऑपरेशन के लिए तैयार तक कर दिया जाता है, लेकिन बाद में डॉक्टर की अनुपलब्धता या तकनीकी कारणों से बिना सर्जरी वापस भेज दिया जाता है। इससे मरीजों की हालत और गंभीर हो जाती है।

गरीबों के पास नहीं कोई विकल्प, सरकारी अस्पताल ही आखिरी उम्मीद

अंबेडकर अस्पताल में इलाज करा रहे ज़्यादातर मरीज आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग से आते हैं। निजी अस्पतालों की महंगी फीस उनके बस की बात नहीं होती, इसलिए सरकारी अस्पताल ही उनकी आखिरी उम्मीद होती है। मगर जब वहां भी उन्हें इंसाफ नहीं, इंतजार मिलता है, तो सिस्टम पर सवाल खड़े होना लाज़मी है।

कई बार स्थिति इतनी बिगड़ जाती है कि मरीज के परिजन और अस्पताल स्टाफ के बीच झड़प और मारपीट की नौबत आ जाती है।

अदालत के सख्त रुख के बावजूद लापरवाह नजर आ रही सरकार

छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रमेश कुमार सिन्हा की बेंच इस मामले की सुनवाई कर रही है और उन्होंने सरकार को व्यक्तिगत हलफनामा देने का निर्देश दिया था। लेकिन सरकार की तरफ से कोई ठोस कार्रवाई नजर नहीं आ रही है।

सरकार का यह रवैया उस वर्ग के लिए बेहद चिंता का विषय है, जो हर दिन सरकारी स्वास्थ्य व्यवस्था के भरोसे अपनी जिंदगी की जंग लड़ रहा है।

अब सबकी निगाहें 10 जून पर

अब मामला हाईकोर्ट में है और 10 जून की सुनवाई पर सबकी निगाहें टिकी हैं। देखना यह होगा कि अदालत के सामने सरकार क्या जवाब देती है और क्या किसी ठोस सुधार की दिशा में कदम उठाए जाते हैं, या फिर यह मामला भी बाकी प्रशासनिक अनदेखियों की तरह फाइलों में गुम हो जाएगा।

Also Read: CG Teacher Rationalization: छत्तीसगढ़ में युक्तियुक्तकरण पर बवाल: प्रदेश के 23 शिक्षक संगठनों ने युक्तियुक्तकरण काउंसलिंग का किया बहिष्कार, जानिए अब आगे क्या?

दक्षिण कोसल का Whatsapp Group ज्वाइन करे

Related Articles

Back to top button