छत्तीसगढ़ के इस जिले में किसान ने रजिस्ट्रार दफ्तर में पिया ज़हर, जमीन की रजिस्ट्री में अड़चन से था परेशान, अफसरों के सामने उठाया आत्मघाती कदम

Balod News: छत्तीसगढ़ के बालोद जिले से एक चौंकाने वाली खबर आई है, जहां एक किसान ने जमीन की रजिस्ट्री में हो रही देरी से तंग आकर रजिस्ट्रार कार्यालय में अफसरों के सामने कीटनाशक पी लिया। किसान की पहचान गुंडरदेही थाना क्षेत्र के भुसरेंगा गांव निवासी रामकुमार साहू के रूप में हुई है। ज़हर सेवन के बाद उसे तत्काल अस्पताल ले जाया गया, जहां उसकी हालत अब स्थिर बताई जा रही है।

एक साल से चक्कर काट रहा था किसान

रामकुमार साहू अपनी निजी जमीन की रजिस्ट्री करवाना चाहता था, लेकिन दस्तावेजों में नामों के मेल न खाने की वजह से रजिस्ट्री की प्रक्रिया अटक गई। रिकॉर्ड में उसकी बहन का नाम “रेवती उर्फ लक्ष्मी” दर्ज है, जबकि उसके आधार और अन्य दस्तावेजों में नाम ‘लक्ष्मी बाई’ है। इसी कारण अधिकारियों ने रजिस्ट्री रोक दी।

रामकुमार ने बताया कि वह पिछले एक साल से एसडीएम ऑफिस और उप पंजीयक कार्यालय के चक्कर काट रहा है, लेकिन हर बार उसे लौटा दिया गया।

दफ्तर में ही खा लिया ज़हर, मचा हड़कंप

Balod Kisan Zahar Kand: परेशान होकर रामकुमार सीधे उप पंजीयक कार्यालय पहुंचा और वहीं अफसरों के सामने कीटनाशक पी लिया। इस घटना से दफ्तर में अफरा-तफरी मच गई। कर्मचारी और मौजूद लोग घबरा गए और आनन-फानन में रामकुमार को अस्पताल पहुंचाया गया। डॉक्टरों ने कहा कि उसकी हालत अब खतरे से बाहर है।

अफसरों की सफाई: आवेदन ही नहीं दिया

घटना के बाद अब मामला राजनीतिक रंग भी पकड़ने लगा है। वहीं, संबंधित अधिकारियों का कहना है कि रामकुमार ने अब तक कोई लिखित आवेदन प्रस्तुत नहीं किया था। साथ ही आरोप लगाया गया कि उसने दबाव बनाने के लिए जहर खाने की धमकी दी।

सवालों के घेरे में व्यवस्था

यह घटना फिर से एक बार बताती है कि सिस्टम की जटिलताएं और अफसरों की लापरवाही आम लोगों को किस हद तक मजबूर कर सकती है। रामकुमार जैसे हजारों किसान हैं, जो सरकारी नियमों और पेचिदगियों के कारण अपनी ही जमीन को लेकर दर-दर की ठोकरें खाते हैं। सवाल ये है कि कब सुधरेगा ये सिस्टम?

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Ravi Pratap Pandey

रवि पिछले 7 वर्षों से छत्तीसगढ़ में सक्रिय पत्रकार हैं। उन्होंने राज्य के सामाजिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक पहलुओं पर गहराई से रिपोर्टिंग की है। जमीनी हकीकत को उजागर करने और आम जनता की आवाज़ को मंच देने के लिए वे लगातार लेखन और रिपोर्टिंग करते रहे हैं।

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