CG Naxal Operation: छत्तीसगढ़ में बड़ा नक्सल ऑपरेशन: हिडमा, देवा और दामोदर की तलाश में फंसी सांसें, सातवें दिन भी पहाड़ियों में धधक रहा मुठभेड़ का मैदान

बीजापुर/तेलंगाना बॉर्डर CG Naxal Operation: जंगल सन्न हैं, मगर गोलियों की आवाज़ें हर तरफ गूंज रही हैं। छत्तीसगढ़ और तेलंगाना की सरहद पर नक्सलियों के खिलाफ चल रहा सबसे बड़ा नक्सल ऑपरेशन अब सातवें दिन में पहुंच चुका है। पसीने और बारूद की महक के बीच सुरक्षाबल मोर्चा संभाले हैं और निशाने पर हैं तीन बड़े नाम — हिडमा, देवा और दामोदर।

टॉप नक्सली नेताओं की तलाश, पहाड़ियों में सुरक्षाबलों की घेराबंदी

सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, पेरमपल्ली और सेमलडोडी की पहाड़ियों में आज सुबह से ही रुक-रुककर फायरिंग हो रही है। इन इलाकों को हमेशा से नक्सलियों का गढ़ माना जाता रहा है। यहीं पर कर्रेगुट्टा और राजगुट्टा जैसे दुर्गम पहाड़ी क्षेत्र हैं, जहां सुरक्षा बलों ने पूरा इलाका घेर लिया है।

इन इलाकों में PLGA बटालियन के टॉप कमांडर — हिडमा, देवा और दामोदर के छिपे होने की आशंका जताई जा रही है। इसी इनपुट के आधार पर ऑपरेशन को तेज किया गया है।

दोनों ओर से हो रही फायरिंग, सुरक्षाबल पूरी सतर्कता में

सुरक्षाबलों और नक्सलियों के बीच लगातार गोलीबारी की खबरें आ रही हैं। हालांकि सुरक्षाबल सावधानी के साथ आगे बढ़ रहे हैं ताकि आम नागरिकों को किसी तरह की क्षति न पहुंचे।

पूरे ऑपरेशन को बेहद गोपनीय रणनीति के तहत अंजाम दिया जा रहा है। अफसर मौके पर मौजूद हैं और किसी भी संभावित मुठभेड़ की स्थिति को ध्यान में रखते हुए तैयारियां पूरी हैं।

ऑपरेशन का मतलब सिर्फ मुठभेड़ नहीं, मनोबल का संदेश भी

इस ऑपरेशन का मतलब सिर्फ गोली चलाना नहीं है, यह नक्सलियों को सीधा संदेश है — अब उनके गढ़ भी सुरक्षित नहीं रहे। पिछले दिनों मारे गए महिला नक्सलियों और सुरक्षाबलों की ताबड़तोड़ कार्रवाई से यह साफ हो चुका है कि इस बार सरकार और सिस्टम दोनों गंभीर हैं।

आगे अब निर्णायक मोड़

सात दिनों से जारी यह ऑपरेशन अब निर्णायक मोड़ पर है। अगर इन तीन टॉप कमांडरों को पकड़ लिया गया या मुठभेड़ में ढेर कर दिया गया, तो यह नक्सल आंदोलन के लिए बहुत बड़ा झटका होगा। फिलहाल सभी की निगाहें बीजापुर की इन पहाड़ियों पर टिकी हुई हैं।

नक्सली अब शांति वार्ता की चिट्ठी लिख रहे हैं, मगर सवाल ये है — क्या इतनी खून-खराबी के बाद बातचीत मुमकिन है? या फिर बंदूकें ही आखिरी जवाब होंगी?

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Ravi Pratap Pandey

रवि पिछले 7 वर्षों से छत्तीसगढ़ में सक्रिय पत्रकार हैं। उन्होंने राज्य के सामाजिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक पहलुओं पर गहराई से रिपोर्टिंग की है। जमीनी हकीकत को उजागर करने और आम जनता की आवाज़ को मंच देने के लिए वे लगातार लेखन और रिपोर्टिंग करते रहे हैं।

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