छत्तीसगढ़ के अस्पतालों को बड़ा झटका! छत्तीसगढ़ में यह स्वास्थ्य योजना बंद, अब नहीं मिलेगा फ्री इलाज

रायपुर – CG Health Scheme Closed: छत्तीसगढ़ के प्राइवेट अस्पतालों को एक बड़ा झटका लगा है। ओडिशा सरकार ने बीजू स्वास्थ्य कल्याण योजना को अब राज्य से बाहर लागू करने पर रोक लगा दी है। इसका असर खासकर रायपुर और आसपास के बड़े अस्पतालों पर पड़ा है, जहां सालाना 5 से 6 लाख ओडिशा के मरीज इलाज के लिए आते थे।
अब ओडिशा के मरीजों को छत्तीसगढ़ में नहीं मिलेगा कैशलेस इलाज
बीजू योजना के तहत ओडिशा के मरीज छत्तीसगढ़ में कैशलेस इलाज करवा रहे थे। ये योजना आयुष्मान भारत से बेहतर पैकेज और तेज़ भुगतान के कारण अस्पतालों की पसंद बनी हुई थी। लेकिन अब ओडिशा सरकार ने साफ कह दिया है कि 10-11 अप्रैल की रात से किसी भी नए मरीज को दूसरे राज्यों में भर्ती नहीं किया जाएगा। हालांकि, जो मरीज पहले से इलाज करवा चुके हैं, उनका भुगतान किया जाएगा।
राजधानी के 90% प्राइवेट अस्पताल इस योजना में शामिल थे
रायपुर के करीब 90 फीसदी निजी अस्पताल इस योजना के पैनल पर थे। यहां के दरवाजों पर योजना से जुड़े पोस्टर तक लगे हुए थे ताकि मरीजों को जानकारी मिल सके। कुछ डॉक्टरों ने मांग की थी कि आंबेडकर अस्पताल जैसे सरकारी संस्थानों में भी यह योजना लागू हो, लेकिन शासन ने इसे “दूसरे राज्य की योजना” बताकर खारिज कर दिया।
क्यों था बीजू योजना का इतना क्रेज?
इसका सबसे बड़ा कारण था बेहतर पैकेज। जहां आयुष्मान भारत कई बीमारियों के लिए पैकेज बंद कर चुका है, वहीं बीजू योजना में इलाज न सिर्फ शामिल था बल्कि अच्छा भुगतान भी होता था।
पैकेज तुलना पर नजर डालिए:
इलाज | आयुष्मान भारत (₹) | बीजू योजना (₹) | अंतर (₹) |
---|---|---|---|
एंजियोप्लास्टी | 75,000-87,500 | 1.5 लाख | 62,500 |
किडनी ट्रांसप्लांट | 3-3.25 लाख | 5 लाख | 1.75 लाख |
नी रिप्लेसमेंट | बंद | 1.75 लाख | 1.75 लाख |
आईसीयू | 8000 | 12,000 | 4000 |
मोतियाबिंद | बंद | 12,000 | 12,000 |
सिजेरियन | बंद | 25,000 | 25,000 |
नाम बदला, सरकार बदली और योजना बंद
ओडिशा में सत्ता परिवर्तन के बाद कई योजनाओं की समीक्षा हो रही है। बीजेपी सरकार आने के बाद बीजू योजना का नाम बदलकर ‘गोपाबंधु स्वास्थ्य योजना’ कर दिया गया। तभी से कयास लगाए जा रहे थे कि यह योजना छत्तीसगढ़ जैसे बाहरी राज्यों में बंद हो सकती है। अब वही हुआ।
आयुष्मान योजना से भी नाराज हैं डॉक्टर
इस बीच, छत्तीसगढ़ में आयुष्मान भारत योजना के तहत काम कर रहे डॉक्टरों को इंसेंटिव नहीं मिल रहा है। खासकर आंबेडकर और डीकेएस अस्पताल के डॉक्टरों में इसको लेकर नाराज़गी है। प्रदेश के 800 से ज्यादा सरकारी और निजी अस्पताल इस योजना में शामिल हैं, लेकिन भुगतान और क्लेम पास होने की प्रक्रिया बीजू योजना के मुकाबले धीमी है।
तो अब मामला ये है कि…
जहां बीजू योजना अस्पतालों और मरीजों के लिए फायदे का सौदा थी, वहीं उसका छत्तीसगढ़ में बंद होना प्राइवेट हॉस्पिटल्स के लिए बड़ा झटका बन गया है। मरीजों को भी अब इलाज के लिए दूसरी जगह या अपनी जेब की तरफ देखना होगा। अगर यही रफ्तार रही तो आने वाले दिनों में हेल्थ सेक्टर में एक और बड़ा मोड़ देखने को मिल सकता है।