CG Teacher Yuktiyuktkaran: युक्तियुक्तकरण में घालमेल? पद छिपाकर काउंसलिंग करने का आरोप, कोरबा में शिक्षक संघ का बवाल, पारदर्शिता पर उठे सवाल

CG Teacher Yuktiyuktkaran: छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले से एक बड़ी खबर आ रही है। यहां छत्तीसगढ़ सरकार के निर्णय पर शिक्षा विभाग द्वारा शिक्षक युक्तियुक्तकरण (Rationalisation) को लेकर बवाल मचा हुआ है। मामला काउंसलिंग प्रक्रिया का है, जिस पर शिक्षक साझा मंच ने गंभीर सवाल उठाए हैं। मंच के प्रदेश संचालक संजय शर्मा ने आरोप लगाया है कि काउंसलिंग में पारदर्शिता का टोटा है और अधिकारी अपनी मर्जी से खेल कर रहे हैं।

डीईओ पर पत्नी को फेवर करने का आरोप

CG Teacher Rationalization: संजय शर्मा ने सीधे तौर पर एक जिला शिक्षा अधिकारी (DEO) पर आरोप लगाया है कि उन्होंने अपनी पत्नी को मनचाहे स्कूल में पदस्थ करवा दिया। वो भी ऐसे समय में जब बाकी शिक्षकों को जानकारी ही नहीं दी जा रही कि कौन-कौन से पद रिक्त हैं। आरोप है कि आस-पास के पदों को छिपाया जा रहा है और जो पद खाली हैं, उन्हें पहले से सार्वजनिक नहीं किया गया।

अतिशेष सूची गायब, फिर भी काउंसलिंग की तारीख तय

CG School Rationalization: मंच का कहना है कि कई जिलों में आज तक अतिशेष शिक्षकों की सूची तक प्रकाशित नहीं हुई है। इसके बावजूद 1, 2 और 3 मई को काउंसलिंग रख दी गई। सवाल ये उठ रहा है कि जब लिस्ट ही नहीं है तो कौन तय करेगा किसे कहां भेजना है? मंच ने पूछा है—”कौन सी गुप्त सूची के आधार पर सब तय किया जा रहा है?”

कोई दावा-आपत्ति का मौका नहीं

एक और गंभीर मुद्दा ये है कि जब सूची जारी हो रही है, तब उसमें दावा-आपत्ति का कोई अवसर नहीं दिया जा रहा। यानी शिक्षक अगर किसी गड़बड़ी पर सवाल उठाना चाहें, तो उन्हें मौका ही नहीं दिया जा रहा। मंच का कहना है कि पूरी प्रक्रिया को सोशल मीडिया या कार्यालय के बाहर सार्वजनिक करना चाहिए, ताकि कोई शक की गुंजाइश न बचे।

एकल शिक्षक स्कूलों को पहले क्यों नहीं?

CG Teacher Union Protest: शिक्षक मंच की मांग है कि जिन स्कूलों में एक भी शिक्षक नहीं है या जहां सिर्फ एक शिक्षक है, वहां पहले पोस्टिंग होनी चाहिए। लेकिन अफसर इस प्राथमिकता को भी नजरअंदाज कर रहे हैं। मंच ने आरोप लगाया कि काउंसलिंग में बुलाए गए शिक्षकों को मनमाने तरीके से कहीं और भेजा जा रहा है।

हर जिले में मनमानी, कलेक्टर की जिम्मेदारी भी सवालों के घेरे में

हालांकि प्रक्रिया की निगरानी की जिम्मेदारी जिलाधीश को दी गई है, लेकिन जमीनी स्तर पर जिला शिक्षा अधिकारी मनमानी कर रहे हैं। प्रदेश भर में पारदर्शिता की कमी साफ दिखाई दे रही है। न पद सार्वजनिक, न लिस्ट, न दावा-आपत्ति की प्रक्रिया—मतलब जो चल रहा है, वो ‘कागजों में नियम, जमीन पर खेल’ जैसा लग रहा है।

राज्यव्यापी विरोध की चेतावनी

संजय शर्मा ने राज्य सरकार से मांग की है कि युक्तियुक्तकरण की पूरी प्रक्रिया को पारदर्शी बनाया जाए। अगर ऐसा नहीं होता है तो प्रदेशभर में शिक्षक संघ आंदोलन के मूड में है। “ये मामला सिर्फ पोस्टिंग का नहीं, बल्कि शिक्षक सम्मान और प्रक्रिया की ईमानदारी का है,” उन्होंने कहा।

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