यशवंत गंजीर@ कुरुद। इस साल सारा देश जहां होली का त्योहार 29 मार्च को मनायेगा वहीं धमतरी जिले के इस गांव के लोग यह पर्व एक सप्ताह पूर्व ही 22 मार्च को मनाने जा रहे है। अपने गांव की प्रचलित लोक-संस्कृति और परंपरा के अनुसार आज यहां के लोग होलिका दहन करेंगे।
जिला एवं ब्लाक मुख्यालय कुरूद के अंतिम छोर में बसे ग्राम सेमरा (सी) जिसे लोग करबीन सेमरा के नाम से भी जानते है यहां आज रात्रि में होलिका दहन किया जाएगा एवं अगले दिन सुबह से ही नगाड़ों की थाप के साथ रंगों का त्यौहार होली खेला जाएगा। इस गांव का अनोखापन यह है कि यहां काफी जमाने से चार प्रमुख त्योहार हफ्ते भर पहले ही मना लेते हैं। ये त्योहार होली, पोला, हरेली और दिवाली है। पौने दो सौ की आबादी वाले सेमरा गांव में मतभेद और मनभेद की भावना से परे हटकर ग्रामीण सैकड़ों वर्षो से इस अनोखी परंपरा का निर्वहन करते आ रहे हैं। तय तिथि से पहले त्योहारों को मनाने के बावजूद यहां के बुजुर्ग, युवा और बच्चों में खूब उत्साह रहता है।
कब शुरु हुई यह परंपरा किसी को नहीं पता:
अब तक किसी ने भी अपने पूर्वजों के जमाने से चली आ रही इस परंपरा से मुंह नहीं मोड़ा है। लेकिन आश्चर्यजनक बात यह कि इस पंरपरा की शुरुआत कब हुई, इससे गांववाले अनजान हैं। पूर्व सरपंच सुधीर बल्लाल, गजेंद्र सिन्हा ने बताया कि हमारे गांव में सिदार देव के प्रकोप से बचने हर त्योहार सप्ताहभर पहले मनाने की परंपरा है। इसमें कुछ भी अटपटा नहीं लगता। बल्कि त्योहार के समय ग्रामीणों के घर अनूठी होली देखने के लिए मेहमान आते हैं। उमेश देवांगन, नरेश चक्रधारी ने बताया कि पुराने बुजुर्गों से सुना है कि वर्षों पहले इस गांव में सिदार देव सपने में आकर कहा था हर त्योहार मनाने से पहले उन्हें पूजा करना जरूरी है और हर त्योहार को एक सप्ताह पहले मनाने की बात कही थी। जिसके चलते आज भी गांव के लोग अपने आराध्या को खुश करने हर त्योहार हफ्ते भर पहले मनाते आ रहे हैं।
सिरदार देव के सामने नगाड़ा बजाकर फाग गीत गाएंगे:
पुराने बुजुर्गों के मुताबिक पहले इस परंपरा को तोड़ने की कोशिश की गई तो गांव में अनिष्ठ आया। कभी फसल नहीं हुई तो कभी आग लग गई। इसलिए नई पीढ़ी के लोग भी इस परंपरा को निभा रहे हैं। सरपंच प्रतिनिधि कामता निषाद ने बताया कि गांव में आज भी किवदंती प्रचलित है कि सालों पहले सिदार नाम का शख्स घोड़े पर सवार होकर सेमरा में अखाड़ा खेलने आया करता था। उस समय गांव घनघोर जंगल के बीच बसा था। उसने जंगली जानवरों से गांववालों की रक्षा की थी। तब गांव के लोग उनकी पूजा करने लगे। गांव में सिदार देव का मंदिर भी है। हर त्यौहार से पहले यहां ग्रामीण पूजा-पाठ करते है। उसके बाद त्योहार मनाते हैं। पूर्व सरपंच घनश्याम देवांगन, यशवंत शुक्ला व पुरोहित ओमप्रकाश तिवारी ने बताया कि इस बार भी गांव के आराध्य देव सिदार देव के मंदिर के पास ग्रामीण नगाड़ा बजाकर घंटों तक फाग गीत गाएंगे। फाग गीत की धुनों पर नाच-गाकर होली का त्योहार मनाएंगे। एक-दूसरे को रंग गुलाल लगाकर होली के रंग में सभी सराबोर होंगे।